स्वतंत्र लेखक- हेमराज राणा
आज जहां जिला सिरमौर, हिमाचल और देश को जिस नशे जैसी गंभीर समस्या ने अपने आगोश में ले रखा है। दिन प्रतिदिन नशे के कारण अनेकों घरों के चिराग बुझ रहें हैं, वहीं दूसरी ओर जिला सिरमौर के दुर्गम क्षेत्र शिलाई में दुगाना ऐसा गांव है जहां कई दशकों से शराब पीने और लाने पर पूर्ण प्रतिबंध है।
इस गांव के लोग इसे कुलिष्ट देव भगवान श्री परशुराम का आदेश बताते हैं। यह एक बहुत बड़ा गांव है जहां लगभग दो सौ घरों हैं। गांव में जब भी कोई शादी समारोह और देवता जागरण इत्यादि कार्यक्रम होते हैं तो इन सभी कार्यक्रमों में शराब पीने और लाने में प्रतिबंध है, जिसका असर अन्य गांव, क्षेत्र और समाज में भी दिन प्रतिदिन पड़ता जा रहा है।
अन्य गांव में भी शराब जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इस गांव में भगवान परशुराम का एक भव्य मन्दिर बना हुआ है जो समस्त क्षेत्र में अपनी अनूठी पहचान रखता है और अनेकों दशकों से आस्था का केंद्र बिंदु बना हुआ है। जिस देवता को हर वर्ष माता रेणुका जी के दर्शन करने के लिए ले जाया जाता है।
यहां ये मान्यता रही है कि समस्त अन्य क्षेत्रों से भी अंतराष्ट्रीय स्तर के मां रेणुका मेले के अवसर पर मां रेणुका जी जो भगवान परशुराम की माता है दोनों माता- पुत्र का मिलन होता है और लाखों आए श्रद्धालुओं को अपना आशीर्वाद देते हैं। जिनका एक बहुत विस्तार का ओर आस्था का इतिहास दोहराया जाता है।
इसी परिप्रेक्ष्य में इस गांव के युवा, बुज़ुर्ग, माताएं बहनें इत्यादि कोई भी शराब का सेवन करते नहीं देखा जाता है। यहां के लोगों की मान्यता है की देवता के आज्ञानुसार इस गांव में शराब को पूर्णतः वर्जित किया गया है। यहां के स्थानीय लोगों का कहना है की अगर कोई इस तरह का दुस्साहस और चेष्टा करता है तो इस गांव के कुलिष्ट देव भगवान परशुराम अपनी देव शक्ति व कठोर दंड का भागी बनातें है।
जिसका दंड उस व्यक्ति व परिवार को किसी ना किसी रूप में चुकाना भी पड़ता है। जिसके अनेकों उदाहरण इस गांव के बुजुर्ग दोहराते भी है, और अगर इस तरह की पहल हर गांव क्षेत्र और जिला सिरमौर में शुरू होती है तो निसंदेह हमारे परिवार, गांव क्षेत्र ओर समाज में अमन शांति और अनेकों घरों के चिराग बुझने से बच पाएंगे ।