अतुल्य भारत/चंबा
रेश्म, तिल्ला, डोरी और मोती को पीरो कर मिंजर बनाने में मुस्लिम परिवार के सदस्य जुटे हुए हैं। वैशाखी पर्व के साथ ही मुस्लिम समुदाय की महिलाएं व सदस्य मिंजर तैयार करने के कार्य में जुट जाते है। 24 जुलाई से 31 जुलाई तक आयोजित होने वाले मिंजर मेले से पहले इन्हें तैयार किया जाएगा। भगवान लक्ष्मीनाथ और रघुनाथ को मुस्लिम परिवार द्वारा तैयार की गई विशेष मिंजर अर्पित करने के साथ ही मिंजर मेले का आगाज होगा। उसके बाद मुख्यालय स्थित मंदिरों में मिंजर अर्पित होगी।
अकिला बोनो ने बताया कि मुगलकाल में शाहजहां के शासनकाल में सन 1641 में राजा पृथ्वी सिंह भगवान रघुनाथ के चिन्ह चंबा लाए थे। शाहजहां ने दिल्ली से मिर्जा साफी बेग को राजदूत के रूप में चंबा भेजा था। मिर्जा परिवार जरी और गोटे के काम में निपुण था। साफी बेग ने सोने से बनी मिंजर को भगवान रघुनाथ के मंदिर में चढ़ाया जहां से यह परंपरा शुरू हो गई। कहा कि रेश्म, तिल्ला, डोरी और मोती बाहरी राज्य से मंगवाने पड़ते हैं।
वैशाखी के दिन से मिंजर बनाने का क्रम आरंभ हो जाता है। बताया कि एक मिंजर तैयार करने में 15 से 20 मिनट का समय लगता है। कहा कि आपसी भाईचारे का मिंजर मेला प्रतीक है।