अतुल्य भारत 24×7/ चंबा
मेडिकल कॉलेज चंबा में डॉक्टरों की कमी का खामियाजा बीमार बच्चों को भी भुगतना पड़ रहा है। अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञों की कमी के चलते दूरदराज इलाकों से आने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आलम यह है कि वर्तमान में अस्पताल में बाल विभाग में छह विशेषज्ञों की कमी चल रही है।
इनमें एक प्रोफेसर, एक असिस्टेंट प्रोफेसर, दो सीनियर रेजिडेंट और दो जूनियर रेजिडेंट शामिल हैं। इन पदों पर सरकार विशेषज्ञों की तैनाती नहीं कर रही है। केवल तीन विशेषज्ञों के सहारे ही यह विभाग चलाया जा रहा है। इनमें एक विशेषज्ञ बीमारी के चलते छुट्टी पर हैं। दो विशेषज्ञों को ओपीडी के साथ वार्ड और इमरजेंसी में आने वाले केस देखने पड़ रहे हैं।
सुबह से लेकर शाम तक ओपीडी के बाहर भीड़ लगी रहती है क्योंकि जिले में अन्य किसी भी अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। इसके चलते अभिभावक अपने बीमारी बच्चों को इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज पर ही निर्भर हैं।
अस्पताल में दवाई न मिलने पर भाजपा के विधायक मीडिया को साथ लेकर होहल्ला जरूर करते हैं लेकिन अस्पताल में चल रही विशेषज्ञों की कमी को लेकर उनका मीडिया में कोई बयान नहीं आता। यही कारण है कि आज दिन तक सरकार मेडिकल कॉलेज में चल रही विशेषज्ञों की कमी को दूर नहीं कर पाई है।
विपक्ष भी इस मुद्दे को प्रदेश स्तर पर नहीं उठा पाया है। मेडिकल कॉलेज की बाल ओपीडी में रोजाना 200 से 300 बीमार बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। इसके अलावा वार्ड में 100 बच्चे दाखिल रहते हैं। इन बच्चों के इलाज के लिए कम से कम आठ विशेषज्ञ होना जरूरी हैं।
कार्यकारी प्राचार्य डॉ. पंकज गुप्ता ने बताया कि बाल रोग विभाग में चल रही विशेषज्ञों की कमी के बारे में सरकार को अवगत करवा दिया गया है।