Monday, September 25, 2023
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मिस्टिक विलेज के लोगों ने पेश किया है ‘कम्युनिटी टूरिज्म’ का बेहतर उदाहरण

रवि शर्मा की कलम से

हिमाचल प्रदेश हिमालय की गोद में बसा एक छोटा सा राज्य है मगर इसकी नैसर्गिक सुंदरता की छाप बहुत बड़ी है। ऊँचे-ऊँचे पहाड़,कल-कल बहती नदियाँ और झरने हिमाचल के सौंदर्य आभूषण हैं। लोग पहाड़ों में दूर-दूर तक छोटे-छोटे गांव में बसे हैं। ये गांव पहाड़ी संस्कृति और दैवीय उपासना पद्धति को जीवटता के साथ संजोये हुए हैं।

पहाड़ के लोगों का सरल स्वभाव उन्हें कठिन परिस्थितियों में रहने के काबिल बना देता है। हालांकि बदलते परिवेश के साथ पहाड़ के गावों में भी बदलाव हुए हैं लेकिन मूल स्वरूप में ज्यादा परिवर्तन नहीं हुआ है। यही कारण है कि लोग अपनी संस्कृति से आज भी जुड़े हुए हैं।

हिमाचल प्रदेश के जिला चम्बा में एक छोटा सा गाँव है भलोली जो कि आये दिनों ‘मिस्टिक विलेज’ के नाम से देश-विदेश में जाना जा रहा है। समुद्रतल से 1850 मीटर की ऊँचाई पर स्तिथ यह गाँव जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खज्जियार के समीप है। यह गाँव ग्राम पंचायत सिंगी के अंर्तगत पड़ता है। गांव के आस-पास वनस्पति ऋतुओं के अनुसार फली-फूली रहती है जिसमें देवदार,बान और बुरांस के पेड़ मुख्यतः पाए जाते हैं।

लेखक रवि शर्मा

इस गांव का प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है। यहाँ से पीर पंजाल और धौलाधार की पहाड़ियाँ साफ दिखाई देती हैं तथा ऊपर उठते हिमालय के पहाडों में खज्जियार-कालाटोप वन्यजीव अभ्यारण्य करीब से दिखता है। यहाँ से पहाड़ों का 360 नजारा सैलानी अपनी आंखों और कैमरों में कैद करते हैं। सर्दियों में बर्फ की सफेद चादर से ढकी पहाड़ियों का नजारा गाँव की खूबसूरती को और बढ़ाता है।

मिस्टिक विलेज में गद्दी-ब्राह्मण लोग रहते हैं जिनके पूर्वज लगभग 300 वर्ष पूर्व भरमौर के बाड़ी गाँव से आकर यहाँ बसे। गाँव में सभी लोग एक ही कुल या गौत्र से संबंधित हैं जिनके दूसरे परिवार भी आसपास के गावों में रहते हैं। समय के साथ-साथ परिवार बड़े होते गए और मिस्टिक विलेज के आसपास के गावों में बस गए। अब इस गाँव में कुल 10 परिवार रहते हैं। मिस्टिक विलेज के घर यहां की पारंपरिक शैली के बने हैं।

मिस्टिक विलेज की मुख्य फसलें मक्का,सरसों और जौ हैं,मगर साथ ही मौसमी सब्जियाँ भी उगाई जाती हैं। सेब,खुमानी,प्लम,आड़ू,नाशपाती,अखरोट और गलगल के पेड़ ऋतुओं के अनुसार फल देते हैं। भोजन में पारंपरिक पकवान बनाये जाते हैं जिनमें बबरू,गेहूं के लड्डू, राजमाह का मधरा,छाछ का साग इत्यादि हैं।

मिस्टिक विलेज के लोगों ने ‘कम्युनिटी टूरिज्म’ का बेहतर उदाहरण पेश किया है। यहाँ सैलानियों के लिए प्रत्येक सुविधा उपलब्ध है जिसे गांव के लोगों द्वारा सामूहिक रूप से संचालित किए जाता हैं। देश-विदेश से सैलानी यहां आते हैं और उनका उत्साह देखते ही बनता है। गांव के युवा शिक्षा के साथ-साथ पर्यटन में दिलचस्पी ले रहे हैं।

पहाड़ी पर बसा यह छोटा सा गाँव यात्रियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। शिक्षा एवम चिकित्सा के शोधकर्ता यहाँ एक-एक महीना ठहरते हैं और गाँव के रहन-सहन, खान-पान के अनुसार ही आचरण करते हैं। यहां आने वाले सैलानी स्थानीय व्यंजनों का भी स्वाद लेते हैं। गाँव के लोगों के सामूहिक प्रयासों से हाल ही के वर्षों में यह गाँव पर्यटन के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। वर्ष 2020 में ‘ट्रिप एडवाइजर’ द्वारा इसे देश का ‘बेस्ट विलेज’ चुना गया है।

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