अतुल्य भारत 24×7/ब्यूरो
अशोक बकारिया वो नाम है जो डलहौज़ी विधानसभा क्षेत्र के लोगों के दिलों पर राज करता है। अशोक बकारिया डलहौज़ी विधानसभा के उभरते हुए राजनेता है। इस पोस्ट के माध्यम से आपको अशोक बकारिया के जीवन से जुड़ी समस्त जानकारी मिलेगी।
जन्म स्थान व संपूर्ण शिक्षा
अशोक बकारिया का जन्म ज़िला चंबा के गाँव सम्मा, डा० शेरपुर, तहसील डलहौजी में दिनांक 12-06-1968 को हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा BSP सेंट्रल स्कूल सुरगानी से हुई। 12बीं व B.Sc तक की पढ़ाई उन्होंने DAV कॉलेज काँगड़ा से 1991 में पूरी की। पढ़ाई लिखाई में वह बचपन से होनहार थे। 1991 में उन्हें वेस्ट स्टूडेंट लीडर के अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।

उन्होंने अपनी B.Ed क़ी पढ़ाई श्रीनगर यूनिवर्सिटी से 1999 में पूरी की। इस बीच उन्होंने खेती-बाड़ी,बाग़वानी,पोल्ट्री फ़ार्मिंग व पशुपालन इत्यादि कार्य भी किए। इस दौरान उन्होंने ड्राइवरी का काम भी किया। इस काम के दौरान उन्होंने कई लोगों को ड्राइवरी भी सिखाई।
वर्ष 1994 में उन्होंने मधुमक्खी पालन केंद्र सरोल से मधुमक्खी पालन की भी शिक्षा ग्रहण की। राजनीतिक विज्ञान में उन्होंने वर्ष 2012 में MA की डिग्री हासिल की।

शिक्षक के रूप में सफ़र
वर्ष 2000 में उन्होंने हाई स्कूल बघेइगढ़ तीस में बतौर TGT मेडिकल सांइस अपनी सेवाएँ देना प्रारंभ की। उसके बाद वह सीनियर सकेंडरी स्कूल भलेई व बाथरी में भी कार्यरत रहे। वर्ष 2017 में वह स्वेच्छा से शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हो गए। वर्तमान में वह देव भूमि जनहित पार्टी के ज़िला अध्यक्ष हैं।

राजनेतिक कैरियर
वर्ष 1886 में वह ABVP से जुड़े। डी ए वी कॉलेज, कांगड़ा में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के वेनर तले उन्होंने 1988 में संयुक्त सचिव के पद पर जीत हासिल की, 1989 में उपाध्यक्ष व 1990 में अध्यक्ष के पद पर निर्वाचित हुए।
तत्पश्चात 2014 से 2016 तक चम्बा विभाग व्यवस्था प्रमुख का दायित्व निभाया।
वर्ष 1991 से 2001 तक भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा में भी कार्य किया। वर्ष 2001 में वह RSS से भी जुड़े। वर्ष 2017 से 2022 तक वह भारतीय जनता पार्टी के ज़िला सचिव व विधानसभा चुराह के प्रभारी रहे।

भारतीय जनता पार्टी से त्यागपत्र का कारण
अशोक बकारिया का कहना है की उन्होंने सालों तक भारतीय जनता पार्टी के लिए निस्वार्थ भाव से कार्य किया लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने चंबा के विकास के किए कोई ठोस कदम नही उठाए जिससे वह पार्टी से बेहद नाखुश है।अशोक बकारिया का कहना है की ज़िला चंबा में भारतीय जनता पार्टी का कांग्रेसीकरण हो चुका है पार्टी ठेकेदारों के द्वारा हाई जेक हो चुकी है। पार्टी में रहते हुए उन्होंने चंबा के विकास के लिए जब भी आवाज़ उठाने की कोशिश की उनकी आवाज़ को दबा दिया गया।
आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी चंबा पिछड़े क्षेत्र में आता है। उन्होंने कहा कि आज़ादी के समय हिमाचल में केवल चार ज़िले थे चंबा,सिरमौर,महासू और मंडी। इन चारों जिलों के DC ज़िला चंबा से सम्बंध रखते थे।आजादी के समय चंबा शिक्षा, स्वास्थ्य, धन-धान्य, कृषि उत्पादन, पशु -पालन में आगे था। कोलकाता के बाद बिजली सबसे पहले ज़िला चंबा में आई, लेकिन आज आजादी के इतने सालों बाद चंबा एक पिछड़ा ज़िला बन कर रह गया है।
75 वर्षों में चंबा के विकास के लिए ना BJP ने क़ाम किया ना ही कांग्रेस ने। प्रदेश में 24 यूनिवर्सिटी है 17 ग़ैर-सरकारी और 7 सरकारी जिसमें से 1 भी ज़िला चंबा में नहीं है। अकेले डलहौजी विधानसभा क्षेत्र में 738 मेगा वार्ट बिजली का उत्पादन होता है। सबसे उचतम क्वॉलिटी का पत्थर ज़िला चंबा में पाया जाता है लेकिन यहाँ कोई भी सीमेंट उद्योग नहीं है।यहाँ अनेकों उद्योग स्थापित किए जा सकते है जिससे यहाँ के लोगों को रोज़गार मिलेगा।
पर्यटन नगरी शिमला, मनाली और धर्मशाला में हवाई यातायात की सुविधा है सिर्फ़ चंबा को छोड़कर, जबकि ज़िला चंबा के डलहौजी, खजियार,भरमौर में हर साल लाखों की संख्या में सैलानी आते है। चंबा का मिज़र मेला अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिध है बावजूद इसके चंबा में एयरपोर्ट तक नही हैं। ऊन उत्पादन में चंबा नम्बर 1 पर आता है ज़िला चंबा में हर वर्ष 425 टन ऊन का उत्पदन किया जाता है दूसरे नम्बर पर कुल्लू ओर तीसरे पर शिमला आता है। ऊन उत्पादन में नम्बर 1 होने के बावजूद ऊन उत्पादन केंद्र पालमपुर में है, जो कि चंबा में होना चाहिए था।
देव भूमि जनहित पार्टी से जुड़ने का कारण
अशोक बकारिया से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि देव भूमि जनहित पार्टी से जुड़ने का कारण है पार्टी की विचारधारा। हमारे देश को रजनेताओं ने वोट बैंक के लिए जाति के आधार पर बाँट कर रखा है। जातिगत आरक्षण को केवल 10 वर्षों के लिए लागू किया गया था लेकिन रजनेताओं ने अपनी सियासी रोटियाँ सेकने के लिए देश को जाति के आधार पर बाँट कर रखा है। आरक्षण आर्थिक आधार पर होना चाहिए ना कि जातिगत आधार पर। उनका कहना है कि वो आरक्षण विरोधी नहीं है इस बात का समर्थन करते है की आरक्षण का लाभ हर जरूरतमंद को मिलना चाहिये।
वह ज़िला चंबा के विकास के लिए काम करना चाहते हैं पिछले 75 वर्षों में राजनेताओं ने चंबा के विकास में बहुत लपरवाही बरती है इसलिए उनका उद्देश्य केवल चंबा को विकास की ओर अग्रसर करना है। वह केवल ज़िला चंबा का चहुमुखी विकास चाहते है।